Friday, August 29, 2008

समय जिसे न बाँध सके...!

समय जिसे न बाँध सके

उस दिल का मित्रों क्या कहना !

जो काम किसी के आ जाए

उस दिन का मित्रों क्या कहना !

जो बीते कल को न रोए

आने वाले से मुक्त रहे

है आज-अभी मौजूद जो उस

पल-छिन का मित्रों क्या कहना !

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10 comments:

अमिताभ मीत said...

"है आज-अभी मौजूद जो उस
पल-छिन का मित्रों क्या कहना !"

उस पल की हकीक़त क्या कहये
जिस पल में जीना सीख लिया

कभी लिखा था ... याद नहीं कहाँ ...
आप रोज़ एक ऐसी बात ले के आते हैं कि सोचना पड़ता है. बड़ी मुश्किल खड़ी कर देते हैं ..

Hari Joshi said...
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Hari Joshi said...

बहुत खूब-
उस दिन का मित्रों क्या कहना!
जो बीते कल को न रोए
आने वाले से मुक्त रहे

Satish Saxena said...

आम भाषा सटीक उद्गार !

Abhishek Ojha said...

क्या कहना !

नीरज गोस्वामी said...

जैन साहेब..ओये तेरा क्या कहना...बहुत खूब बंधू
नीरज

डॉ .अनुराग said...

dosti ka koi substitute nahi hota....

pallavi trivedi said...

bahut khoob...

शोभा said...

समय जिसे न बाँध सके

उस दिल का मित्रों क्या कहना !

जो काम किसी के आ जाए

उस दिन का मित्रों क्या कहना
बहुत अच्छा लिखा है। बधाई स्वीकारें।

Dr. Chandra Kumar Jain said...

आभार आप सब का
अंतर्मन से.
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चन्द्रकुमार