सबके भाग्य यहाँ खुल जाते
साध्य सोचने से यदि मिलता
सब सुख के मालिक बन जाते
सफ़र, सफ़र है ठहर न जाना
चलना, चाल-चलन जीवन है
प्राप्य रुदन से यदि मिलता तो
रोने वाले सिद्ध कहाते !
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:-))
वाह...जीवन से जुड़े भाव...यथार्थपरक..बधाई..is rachnatmak abhivyakti ke liye
Prapya rudan se yadi milta to rone wale sidhh kahate. Dr. saheb bahut achhi linen hain ye. poori rachana saar garbhit hai.
जैन साहेब...कितने सरल शब्दों में आप कैसे इतनी गहरी बात कर जाते हैं...हैरानी होती है...वाह.नीरज
आज सारी रचनायें पढ़ीबहुत खूब लिखा है बधाई ।
चन्द्र कुमार जी, आप ने कविता के रुप मे बहुत ही गहरी बात कह दी धन्यवाद
आभार आप सब का.=================शुभकामनाएँडॉ.चन्द्रकुमार जैन
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7 comments:
:-))
वाह...
जीवन से जुड़े भाव...
यथार्थपरक..
बधाई..
is rachnatmak abhivyakti ke liye
Prapya rudan se yadi milta to rone wale sidhh kahate. Dr. saheb bahut achhi linen hain ye. poori rachana saar garbhit hai.
जैन साहेब...कितने सरल शब्दों में आप कैसे इतनी गहरी बात कर जाते हैं...हैरानी होती है...वाह.
नीरज
आज सारी रचनायें पढ़ी
बहुत खूब लिखा है
बधाई ।
चन्द्र कुमार जी, आप ने कविता के रुप मे बहुत ही गहरी बात कह दी धन्यवाद
आभार आप सब का.
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शुभकामनाएँ
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
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