Thursday, September 4, 2008

मौन में जिसके वाणी हो...!

नित मौन में जिसके वाणी हो

उस गुरू की महिमा गाता हूँ

पर कहकर न जीने वाले

गुरुओं से मैं घबराता हूँ

बाहर-बाहर कर दे खाली

भीतर-भीतर अमृत भर दे

कंकर को शंकर जो कर दे

उस गुरू को शीश नवाता हूँ

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11 comments:

विशेष कुमार said...

नित मौन में जिसके वाणी हो

उस गुरू की महिमा गाता हूँ

मुझे भी शामिल करें , गुरूओं के अभिनंदन में।

रंजू भाटिया said...

शिक्षक दिवस की बहुत बहुत बधाई
नमन है गुरु जनों को .

Unknown said...

शिक्षक दिवस पर हार्दिक बधाई ।

Satish Saxena said...

अरे वाह ! वाकई आनंद आगया डॉ साहब ! आपको मेरे गीत पर लिंक देते हुए गर्वित हूँ !

Dr. Chandra Kumar Jain said...

विद्यासागर जी,रंजना जी,
शैली और सतीश जी
आभार आपका.
सतीश भाई,आपने अपने गीत में
हमारा सिर्फ़ लिंक ही नहीं दिया
अपनी उदारता का परिचय भी दिया है.
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शुक्रिया.....डॉ.चन्द्रकुमार जैन

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप के गुरू को हम भी शीश नवाते हैं।

Abhishek Ojha said...

ऐसे गुरु को नमन है... सरजी !

Udan Tashtari said...

शिक्षक दिवस के अवसर पर समस्त गुरुजनों का हार्दिक अभिनन्दन एवं नमन.

राज भाटिय़ा said...

कंकर को शंकर जो कर दे
उस गुरू को शीश नवाता हूँ
मे सभी गुरूओ को प्राणम करता हु,बहुत ही सच्ची बात कही हे आप ने, एक गुरु ही हे जो कंकर को...
धन्यवाद

Arun Aditya said...

तस्मै श्री गुरुवे नमः ।

Dr. Chandra Kumar Jain said...

आप सब का आभार.
....और अरुण भाई आपको
अरसे के बाद देखकर
बहुत अच्छा लगा.
आपका लेखन पूर्ण हो गया ?
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन