क्यों न हो इंसानियत हैरान मेरे देश में
घूमते हैं शान से शैतान मेरे देश में
रोशनी की खो रही पहचान मेरे देश में
और अंधेरों की बड़ी है शान मेरे देश में
जिस तरफ़ देखो तबाही,खून का माहौल है
खो गई क्यों प्यार की पहचान मेरे देश में
इस क़दर नैतिक पतन होगा किसे मालूम था
आदमी हो जाएगा हैवान मेरे देश में
गुमशुदा हैं पासबां इंसानियत के आजकल
बढ़ रही है क़ातिलों की शान मेरे देश में
पतझडों की आंधियाँ हर वक़्त चलती हैं यहाँ
बाग़ सब होने लगे वीरान मेरे देश में
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घूमते हैं शान से शैतान मेरे देश में
रोशनी की खो रही पहचान मेरे देश में
और अंधेरों की बड़ी है शान मेरे देश में
जिस तरफ़ देखो तबाही,खून का माहौल है
खो गई क्यों प्यार की पहचान मेरे देश में
इस क़दर नैतिक पतन होगा किसे मालूम था
आदमी हो जाएगा हैवान मेरे देश में
गुमशुदा हैं पासबां इंसानियत के आजकल
बढ़ रही है क़ातिलों की शान मेरे देश में
पतझडों की आंधियाँ हर वक़्त चलती हैं यहाँ
बाग़ सब होने लगे वीरान मेरे देश में
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7 comments:
kya kahe docsaab bada kadua sach likh diya hai aapne.sahi bhi nahi keh sakte,galat bhi nahi thahra sakte. aapki dumdaar lekhni ko salam karta hun
पतझडों की आंधियाँ हर वक़्त चलती हैं यहाँ
बाग़ सब होने लगे वीरान मेरे देश में
बहुत खूब ..सुंदर
वाह! बहुत खूब लिखा है. बधाई.सस्नेह
पतझडों की आंधियाँ हर वक़्त चलती हैं यहाँ
बाग़ सब होने लगे वीरान मेरे देश में
बहुत खूब - यह सब रातों-रात नहीं हुआ.
अपनी दो लाइनें जोड़ने की गुस्ताखी कर रहा हूँ:
घर जलाकर चल दिए दुश्मन अंधेरी रात में
सोता रहा मैं बेखबर, अनजान मेरे देश में
धन्यवाद!
चन्द्र कुमार जी बिलकुल सही चित्र खीचा हे आप ने मेरे इस देश का, सच मे यह सब हो रहा हे, क्या होगा मेरे इस देश का जहां के कर्ण्धार ही इसे बरबाद करने पर तुले हे.
बहुत ही सुन्दर
धन्यवाद
शुक्रिया आप सब का.
...और स्मार्ट साहब आपने तो
बहुत जानदार शेर कह दिया है,
बहुत...बहुत अच्छा.
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चन्द्रकुमार
'पतझड़ों की आंधियां…'
बहुत सुन्दर!
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