पहाड़ चाहे जितना तना हो
एक लगन यदि लग जाए
एक कदम यदि उठ जाए
कम हो जाता है अँधेरे का असर
झुक जाती है पहाड़ की भी नज़र
अँधेरा तो रौशनी की रहनुमाई है
पहाड़ तो प्रेम की परछाईं है
आदमी के लिए अच्छा है
वह आलोक के लिए जले
कहीं पहुँचने के लिए चले
सच तो यह है कि
अंधकार के विपरीत
जो पूरी शक्ति से खड़ा होता है
उस आदमी का व्यक्तित्त्व
एक दिन उतना ही बड़ा होता है.
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14 comments:
अंधकार के विपरीत पूरी शक्ति से खड़ा होने की प्रेरणा देती शानदार कविता। बधाई।
आदमी के लिए अच्छा है
वह आलोक के लिए जले
कहीं पहुँचने के लिए चले
सही कहते है .... बहुत बढ़िया है.
तुमको खुले मिलेंगे तरक्की के रास्ते।
पहला कदम उठाओ लेकिन यकीन से।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
सुबह निराश सी थी,
कविता अच्छी लगी।
अँधेरा तो रौशनी की रहनुमाई है
पहाड़ तो प्रेम की परछाईं है
" bhut achee lgee ye lines"
Regards
आदमी के लिए अच्छा है
वह आलोक के लिए जले
कहीं पहुँचने के लिए चले
बहुत प्रेरणास्पद पंक्तियाँ....जीवन जीना सिखाती आप की एक और भावपूर्ण रचना...वाह...
नीरज
अंधेरे के खिलाफ एक प्रेरक कविता..
शुक्रिया डाक्टसाब...
बहुत सुद्नर बात कही आपने ..अच्छी रचना
अंधेरे के ख़िलाफ़ सुदर प्रेरणा !
आदमी के लिए अच्छा है
वह आलोक के लिए जले
कहीं पहुँचने के लिए चले
सच तो यह है कि
अंधकार के विपरीत
जो पूरी शक्ति से खड़ा होता है
उस आदमी का व्यक्तित्त्व
एक दिन उतना ही बड़ा होता है.
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kitni sundar baat kahi hai aapne.....aadmi man me bitha le to jeevan safal ho jaye.
अंधकार के विपरीत
जो पूरी शक्ति से खड़ा होता है
उस आदमी का व्यक्तित्त्व
एक दिन उतना ही बड़ा होता है.
सुंदर और प्रेरक शब्द, धन्यवाद!
बहुत ही सुन्दर कविता, हिम्मत से भरपुर,एक जिन्दा दिल.
बहुत बहुत धन्यवाद
डॉ साहब अच्छी रचना. शुक्रिया.
Bade bade lekh likh kar bhi bahut si baten kah pana kathin hota hai unhin baton ko aap kavya ki kuchh panktiyon ke madhyam se kaise kah dete hain pata nahin. Dr saheb maharat hashil hai aapko ismen. jhoothi taarif nahin hai.
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