Thursday, November 13, 2008

महिमा श्रद्धा की....!

श्रद्धा वह औषधि है

जो रोग मिटा देती है

श्रद्धा वह मशाल है

जो तिमिर भगा देती है

श्रद्धा के पारस से जीवन

बन जाता स्वर्ग यहाँ है

श्रद्धा वह नौका है

जो पार लगा देती है

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5 comments:

Abhishek Ojha said...

'बन जाता स्वर्ग यहाँ है'

श्रद्धा महिमा पसंद आई !

Jimmy said...

Bouth Aacha post Ji

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दिनेशराय द्विवेदी said...

श्रद्धा के आँख न हो तो
मँझधार में डुबो देती है।

Udan Tashtari said...

बहुत बेहतरीन!!

36solutions said...

चंद लाईनों में प्रस्‍तुत सार यथार्थ । आभार