जो घावों को भर सकते हों,
उन गीतों को आज जगाओ
जो दुर्दिन से लड़ सकते हों !
और ज़रा तुम गीत चुनिंदा
ऐसे चुनो समय के साथी,
देश के दुश्मन की छाती पर
वक़्त पड़े जो चढ़ सकते हों !!
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Utsaah badhane wali rachna.
हां गुस्से के साथ-साथ ये भी ज़रुरी है। अच्छी रचना।
बहुत बढिया व सामयिक रचना है।बधाई।
गुस्सा झलक रहा है
सहज ही मन से निकली हुई पंक्तियां हैं... आजकल बहुत आक्रोश है मन में !
ऐसे चुनो समय के साथी,देश के दुश्मन की छाती परवक़्त पड़े जो चढ़ सकते होंsamayik veer ras se paripoorn . umda. badhai.
ऐसे गीत बचा कर रखोजो घावों को भर सकते हों,उन गीतों को आज जगाओ जो दुर्दिन से लड़ सकते हों !बहुत अच्छा गीत। बधाई
क्या बात है जैन साहेब...बेहद कमाल की रचना...एक एक शब्द सच्चा...नीरज
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8 comments:
Utsaah badhane wali rachna.
हां गुस्से के साथ-साथ ये भी ज़रुरी है। अच्छी रचना।
बहुत बढिया व सामयिक रचना है।बधाई।
गुस्सा झलक रहा है
सहज ही मन से निकली हुई पंक्तियां हैं... आजकल बहुत आक्रोश है मन में !
ऐसे चुनो समय के साथी,
देश के दुश्मन की छाती पर
वक़्त पड़े जो चढ़ सकते हों
samayik veer ras se paripoorn . umda. badhai.
ऐसे गीत बचा कर रखो
जो घावों को भर सकते हों,उन गीतों को आज जगाओ जो दुर्दिन से लड़ सकते हों !
बहुत अच्छा गीत। बधाई
क्या बात है जैन साहेब...बेहद कमाल की रचना...एक एक शब्द सच्चा...
नीरज
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