कितना फ़र्क पड़ेगा साथी ?
हटी न गर तंद्रा तो तय है
थर-थर काँपेगी हर बाती !
स्वार्थ-सुखों में लिप्त तंत्र का
अब भी यदि उपचार न हुआ
आज जो है आतंक रहेगा
कल वह बन जायेगा हाथी !
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बिल्कुल सही!! त्वरित उपचार जरुरी है.
बहुत सही व बढिया रचना है।बधाई।
अच्छा लिखा है।
लौ थरथरा रही है बस तेल की कमी से।उसपर हवा के झोंके है दीप को बचाना।।सादर श्यामल सुमन09955373288मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत अच्छी कविता। बधाई
आतंक का हाथी...अर्थात गजेन्द्रोपद्रव !!!!बहुत खूब...
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6 comments:
बिल्कुल सही!! त्वरित उपचार जरुरी है.
बहुत सही व बढिया रचना है।बधाई।
अच्छा लिखा है।
लौ थरथरा रही है बस तेल की कमी से।
उसपर हवा के झोंके है दीप को बचाना।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत अच्छी कविता। बधाई
आतंक का हाथी...
अर्थात
गजेन्द्रोपद्रव !!!!
बहुत खूब...
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