Tuesday, December 9, 2008

अपनी नज़रों में अपना क़द...!

मूल्य किसी का क्यों आँकें हम

अपना मूल्य बढ़ाकर देखें

अपनी नज़रों में अपना क़द

आओ जरा उठाकर देखें.

अपने ही कर्मों का नाता

एक दिन सत् से जुड़ जाएगा,

कहने और करने का अन्तर

आओ जरा मिटाकर देखें.

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5 comments:

Anil Pusadkar said...

यही तो समस्या है डाक्साब, कथनी और करनी का फ़र्क मिट जाये तो देश चमन हो जाये।

नीरज गोस्वामी said...

अपनी नज़रों में अपना क़द
आओ जरा उठाकर देखें.
सच कहा...आप ने आत्म सम्मान जगाती रचना...
नीरज

कडुवासच said...

कहने और करने का अन्तर

आओ जरा मिटाकर देखें.

... प्रसंशनीय अभिव्यक्ति।

Satish Saxena said...

बहुत बढ़िया !

राज भाटिय़ा said...

कहने और करने का अन्तर

आओ जरा मिटाकर देखें.
क्या बात है, आप ने तो आईना दिखा दिया.
धन्यवाद