अपना फ़र्ज़ यहाँ माना है
उसे रचा है इस जीवन ने
मैंने बस इतना जाना है
और अगर इस मांग को भुला
भूल-भुलैया में जो भटका
उसका पाना, क्या पाना है
मैं तो समझूँ सब खोना है....!
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सही कहा है भाई ...
आपका ब्लाग देखा कफ़ी अच्छा लगा, नववर्ष की शुभकामनाएँ
सार्थक!
अद्भुत जैन साहेब...अद्भुत...बहुत अच्छी रचना हमेशा की तरह...नव वर्ष की शुभ कामनाओं के साथ उम्मीद करते हैं की पूरे साल आप की विशिष्ट रचनाएँ पढने को मिलती रहेंगी...नीरज
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4 comments:
सही कहा है भाई ...
आपका ब्लाग देखा कफ़ी अच्छा लगा, नववर्ष की शुभकामनाएँ
सार्थक!
अद्भुत जैन साहेब...अद्भुत...बहुत अच्छी रचना हमेशा की तरह...नव वर्ष की शुभ कामनाओं के साथ उम्मीद करते हैं की पूरे साल आप की विशिष्ट रचनाएँ पढने को मिलती रहेंगी...
नीरज
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