Tuesday, January 13, 2009

हँसी के फूल...ग़म के शूल !

हँसी के फूल,ग़म के शूल

मित्रों ! आम बातें हैं

न डरना ग़म से इतना

ग़म बड़े ही काम आते हैं

वक़्त के दरिया में जब

तूफां उठे बरबस

तो ग़म के अश्क भी

कश्ती को मित्रों थाम लाते हैं !

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6 comments:

vandana gupta said...

bahut gahre bhav.......ati sundar

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर

Amit Kumar Yadav said...

आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!

नीरज गोस्वामी said...

जैन साहेब...कमाल करते हैं आप...चंद शब्दों में कितनी गहरी बात करते हैं आप..आप की इस शैली का में दीवाना हूँ...वाह जी वाह...
नीरज

Udan Tashtari said...

बेहतरीन भाई, लाजबाब!!

अमिताभ मीत said...

सही है भाई. क्या बात है.