Friday, January 16, 2009

सुख का सूरज.

सुख का सूरज, आशाओं की

नई सुबह हर दिन लाता है

पर रातों से रूठे मन को

दिन का पता न चल पाता है

बीत गई हों जो सोने में

उन घड़ियों का क्या रोना है

जगा हुआ मन तो निज पथ पर

उठकर सहज निकल जाता है.....!

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6 comments:

Dr. Amar Jyoti said...

बहुत सुन्दर!

निर्मला कपिला said...

बहुत खूब सधुवाद्

अमिताभ मीत said...

भाई कमाल है. बहुत बढ़िया ...

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुंदर.
धन्यवाद

Udan Tashtari said...

बेहतरीन!!

sandhyagupta said...

Sarthak rachna.