नई सुबह हर दिन लाता है
पर रातों से रूठे मन को
दिन का पता न चल पाता है
बीत गई हों जो सोने में
उन घड़ियों का क्या रोना है
जगा हुआ मन तो निज पथ पर
उठकर सहज निकल जाता है.....!
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बहुत सुन्दर!
बहुत खूब सधुवाद्
भाई कमाल है. बहुत बढ़िया ...
बहुत ही सुंदर.धन्यवाद
बेहतरीन!!
Sarthak rachna.
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6 comments:
बहुत सुन्दर!
बहुत खूब सधुवाद्
भाई कमाल है. बहुत बढ़िया ...
बहुत ही सुंदर.
धन्यवाद
बेहतरीन!!
Sarthak rachna.
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