Saturday, January 17, 2009

दूर न होगा शिखर..!

आँखों को मुस्कान

अगर मिल जाए

पाँवों को उड़ान

अगर मिल जाए

दूर न होगा शिखर

कभी जीवन में

संकल्पों को जान

अगर मिल जाए

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6 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सब कुछ हो जाए
जो संकल्पों को जान मिल जाए।

Udan Tashtari said...

दूर न होगा शिखर
कभी जीवन में
संकल्पों को जान
अगर मिल जाए


-बिल्कुल सही कहा. उम्दा रचना.

महेंद्र मिश्र.... said...

कम शब्दों में बहुत ही बढ़िया रचना . बधाई

संगीता पुरी said...

बहुत अच्‍छी रचना।

निर्मला कपिला said...

बहुत बडिया अभिव्यक्ति है

नीरज गोस्वामी said...

जय हो जैन साहेब...आप की सदा ही जय हो...वाह क्या लिखते हैं आप...वाह...
नीरज