Tuesday, February 10, 2009

सफ़र में हार न मानें...!


जारी रही तलाश तो

हर आस को जीवन मिलेगा

भारी रहा विश्वास तो

सहरा में भी सावन मिलेगा

डगर में पाँव और जुम्बिश

सफ़र में हार न मानें

तो बेशक ज़िंदगी को ज़िंदगी का

मीत वह मधुबन मिलेगा...!

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8 comments:

रंजू भाटिया said...

भारी रहा विश्वास तो
सहरा में भी सावन मिलेगा
यही विश्वास ही जिन्दगी की तलाश को पूरा करने की कोशिश में लगा रहता है .बहुत बढ़िया सुंदर बात कही आपने कुछ लफ्जों में

नीरज गोस्वामी said...

डगर में पाँव और जुम्बिश
सफ़र में हार न मानें....
हमेशा की तरह....प्रेरक रचना...वाह.

नीरज

निर्मला कपिला said...

bahut sunder abhivyakti hai badhai

mehek said...

your poems r always a tonic for mind,bahut hausla deti hai,bahut sundar aur sahi kaha.

अजित वडनेरकर said...

हमेशा की तरह प्रेरक-सकारात्मक शब्द...
आभार

रंजना said...

Waah ! aapki rachnaon me jo urja aur aasha ka shrot hota hai,wah adwiteey aur vandneey hai. Aaabhar.

दिनेशराय द्विवेदी said...

पूरी तरह आशा और विश्वास लिए।

राज भाटिय़ा said...

आशा और विश्वास से भरपुर,
धन्यवाद