कह पाना जिसको मुश्किल हो
बात वही मैं कह जाता हूँ
सह पाना जिसको मुमकिन हो
हर पीड़ा मैं सह जाता हूँ
दुनिया रुदन जिसे कहती है
मैं स्वर पंचम में उस दुःख के
घर में बनकर सहज सहोदर
जब तक चाहे रह जाता हूँ
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मैं स्वर पंचम में उस दुःख केघर में बनकर सहज सहोदरजब तक चाहे रह जाता हूँवाह जैन साहेब वाह....कमाल किया है आपने...हमेशा की तरह...शब्द और भाव.....अनुपम.नीरज
Waah ! lajawaab is baar bhi,hamesha ki tarah.
सुन्दर रचना के लिये आभार.
बहुत सुन्दर बात!!
गागर में सागर भर देते हैं आप!
Waah....! kitane kum sabdon me aapne itani gahri bat kah di... Bhot khoob....!!
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6 comments:
मैं स्वर पंचम में उस दुःख के
घर में बनकर सहज सहोदर
जब तक चाहे रह जाता हूँ
वाह जैन साहेब वाह....कमाल किया है आपने...हमेशा की तरह...शब्द और भाव.....अनुपम.
नीरज
Waah ! lajawaab is baar bhi,hamesha ki tarah.
सुन्दर रचना के लिये आभार.
बहुत सुन्दर बात!!
गागर में सागर भर देते हैं आप!
Waah....! kitane kum sabdon me aapne itani gahri bat kah di... Bhot khoob....!!
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