टूटता है मौन
फूलों का
हवाओं का
सुरों का
टूटता है मौन...
टूटती है नींद
वृक्षों की
समय के
नए बीजों की
टूटती है नींद...
टूटती है देह मेरी
टूटता है वादा
पुराना।
=======================
देशबंधु, रायपुर में
श्री राकेश रंजन की रचना...साभार.
फूलों का
हवाओं का
सुरों का
टूटता है मौन...
टूटती है नींद
वृक्षों की
समय के
नए बीजों की
टूटती है नींद...
टूटती है देह मेरी
टूटता है वादा
पुराना।
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देशबंधु, रायपुर में
श्री राकेश रंजन की रचना...साभार.
8 comments:
अच्छी रचना है ...
टूटता है मौन ..सुन्दर .अच्छी लगी यह
अच्छी रचना पढ़वाने का आभार डाक्टसाब...
NAMASKAAR,
BAHOT HI UMDA BAHOT KHUB AB AAPKE LEKHAN KO MAIN ADANA KYA KAHUN... BAHOT BADHAAEE AAPKO
ARSH
bahut sunder
मौन को तोड़ते हुए आपने बेहद प्रभावशाली प्रस्तुती दी है । कम शब्दों से आपका बंधन जाल बहुत प्रभावित किया
सुंदर अभिव्यक्ति!
फूलों का, हवाओं का और सुरों का
मौन वास्तव में टूट गया है।
मौन को भंग करने में सबसे अधिक
शब्दों की ही भूमिका रही है।
सुन्दर रचना पढ़वाने के लिए आप
और इसे लिखने के लिए रचनाधर्मी
बधाई के पात्र हैं।
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