निकल जाए कांटा, काँटे से
फिर भी कभी न भूलें हम
फूलों वाले रिश्तों को
काँटों से कभी न तौलें हम
शब्दों में मीठापन चाहे
मत घोलें पर याद रहे
अन्तर आहत करने वाली
वाणी कभी न बोलें हम
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उम्दा सीख!!
बहुत सही कहा आपने मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
kaabile tareef hai
execelant
याद रखेंगे डा साब्।
अन्तर आहत करने वालीवाणी कभी न बोलें हम आपकी वाणी पसंद आती है हमें, क्योंकि यह अन्तर को तर कर देती है...
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6 comments:
उम्दा सीख!!
बहुत सही कहा आपने
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
kaabile tareef hai
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याद रखेंगे डा साब्।
अन्तर आहत करने वाली
वाणी कभी न बोलें हम
आपकी वाणी पसंद आती है हमें, क्योंकि यह अन्तर को तर कर देती है...
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