सकल मेरी व्याधियों की
तुम दवाई हो।
मधुर इतनी सुधा ज्यों
सुर ने बहाई हो।।
क्या बताऊँ कल्पना भी
हो असीमित तुम।
चेतना बन चांदनी
दिल में समाई हो।।
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kya baat hai dr saahab , bahut sundar panktiyaan likhee hain, achha laga...
jain sahib sudar bhaavaabhibykti.......dhero badhaayee..arsh
बहुत बढिया!!
चेतना की राह में तुम ही दवाई हो,कल्पना के लोक में तुम ही नहाई हो।जिन्दगी हर सफर में हमसफर तुम हो,तुम हमारी जान हो, दिल में समाई हो।।सुन्दर भाव, बधाई स्वीकार करें।
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4 comments:
kya baat hai dr saahab , bahut sundar panktiyaan likhee hain, achha laga...
jain sahib sudar bhaavaabhibykti.......dhero badhaayee..
arsh
बहुत बढिया!!
चेतना की राह में तुम ही दवाई हो,
कल्पना के लोक में तुम ही नहाई हो।
जिन्दगी हर सफर में हमसफर तुम हो,
तुम हमारी जान हो, दिल में समाई हो।।
सुन्दर भाव, बधाई स्वीकार करें।
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