सुखी वही हो पाए मर्म
दुखों का जो भी बूझ सके हैं
इतना भी नाकाफ़ी है कि
डर मन को बरबस न सताए
डर से भी अच्छा कुछ है हम
ख़ुद से क्या यह पूछ सके हैं ?
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डर मन को बरबस न सताए डर से भी अच्छा कुछ है हम ख़ुद से क्या यह पूछ सके हैं ?sachhi baat bahut khub
डर से भी अच्छा कुछ है हमख़ुद से क्या यह पूछ सके हैंbahut khub
HAMESHAA KI TARAH KHUBSURAT JAIN SAHAB BAHOT BAHOT BADHAAYEE IS NAAYAAB RACHANAA KE LIYEARSH
लाजवाब....हमेशा की तरह...बधाई इस अनुपम रचना के लिए.नीरज
atisundar ........badhaaee
सच में हर हालत में सामना करना चाहिए ....
चन्द्रकुमार जी,उम्मीदों के पंख लगाती हुई रचना, सिखा जाती है कि जीवन संघर्ष में निराशाओं का कोई स्थान नही\सार्थक रचना,सादर,मुकेश कुमार तिवारी
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7 comments:
डर मन को बरबस न सताए
डर से भी अच्छा कुछ है हम
ख़ुद से क्या यह पूछ सके हैं ?
sachhi baat bahut khub
डर से भी अच्छा कुछ है हम
ख़ुद से क्या यह पूछ सके हैं
bahut khub
HAMESHAA KI TARAH KHUBSURAT JAIN SAHAB BAHOT BAHOT BADHAAYEE IS NAAYAAB RACHANAA KE LIYE
ARSH
लाजवाब....हमेशा की तरह...बधाई इस अनुपम रचना के लिए.
नीरज
atisundar ........badhaaee
सच में हर हालत में सामना करना चाहिए ....
चन्द्रकुमार जी,
उम्मीदों के पंख लगाती हुई रचना, सिखा जाती है कि जीवन संघर्ष में निराशाओं का कोई स्थान नही\
सार्थक रचना,
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
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