Saturday, September 26, 2009

दिल के सब ज़ज़्बात लिख.

तू भी मेरी ही तरह कुछ अपने दिल की बात लिख

दिन अगर है दिन ही लिख गर रात है तो रात लिख

मैं समझता हूँ मोहब्बत का हर एक ग़म और फरेब

मुझको अपनी दास्तां लिख दिल के सब ज़ज़्बात लिख

क़ैद हैं तेरे भी दिल में सैकड़ों ग़ज़लें कहीं

आ कलम क़ागज़ उठा लिखने की कर शुरूआत लिख

एक आँसू ज़िंदगी है एक आँसू मौत है

ज़िंदगी की बूँद लिख और मौत की बरसात लिख

यूँ न कर दुनिया की बातें दर्द को होंठों पे ला

दिल में है ग़म का समंदर तू उसी की बात लिख

तू मुझे अच्छा बना मेरी बुराई कह मुझे

दोस्त है तो दे मुझे ऐसी कोई सौगात लिख

आज भी मातम जहाँ है ज़िंदगी वीरान है

जा उन्हीं के झोपड़ों में उनके भी हालात लिख

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श्री राजमोहन चौहान की ग़ज़ल साभार प्रस्तुत

5 comments:

श्रद्धा जैन said...

क़ैद हैं तेरे भी दिल में सैकड़ों ग़ज़लें कहीं

आ कलम क़ागज़ उठा लिखने की कर शुरूआत लिख

bahut sunder gazal share ki hai aapne
Shukriya

राज भाटिय़ा said...

तू भी मेरी ही तरह कुछ अपने दिल की बात लिख

दिन अगर है दिन ही लिख गर रात है तो रात लिख
जबाब नही जनाब आप की कलम का, बहुत सुंदर ओर एक सची कविता के लिये आप का धन्यवाद

अजित वडनेरकर said...

तू मुझे अच्छा बना मेरी बुराई कह मुझे
दोस्त है तो दे मुझे ऐसी कोई सौगात लिख

बहुत खूब। हर शेर पर वाह! है। हम तो सिर्फ इतना कहेंगे-

कारोबारे-जिंदगी का फ़लसफ़ा समझा दिया
फ़ानी-दुनिया की कोई भूली हुई सी बात लिख

ओम आर्य said...

बेहद सुन्दर गज़ल!

रंजना said...

बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल....padhwane के लिए आपका आभार..