
नहीं बचेगी धरती
वह बचेगी
छोटी-छोटी कोशिशों से
हम
नहीं फेकें कचरा
इधर-उधर
स्वच्छ रहेगी धरती
हम
नहीं खोदें गड्ढा
स्वस्थ रहेगी धरती
हम
नहीं होने दें उत्सर्जित
विषैली गैसें
प्रदूषण मुक्त रहेगी धरती
हम
नहीं काटें जंगल
पानीदार रहेगी धरती
धरती को पानीदार बनाएँ
आइए! धरती बचाएँ।
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विश्व पृथ्वी दिवस पर...
अजहर हाशमी की रचना
'नई दुनिया' से साभार प्रस्तुत.
3 comments:
सार्थक रचना....
आपसे सहमत
तुम तैश में आकर जो इन्हें काट रहे हो,
जब सर पे धूप होगी शज़र याद आएंगे।
सार गर्भित रचना ।
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