Sunday, March 23, 2008

झरने की तरह गिर !

झरने की तरह गिर कभी उठ धूल की तरह

काँटों के बीच रह मगर खिल फूल की तरह

2 comments:

अनूप शुक्ल said...

आमीन!

मीनाक्षी said...

गर ऐसा हो तो कहना ही क्या...!