Wednesday, April 23, 2008

शुद्ध कविता की खोज...दिनकर जी !


मित्रों !
२४ अप्रैल।
अंगार और हुंकार के राष्ट्र-कवि
रामधारीसिंह दिनकर जी
( २३.९.१९०८-२४.४.१९७४)
का स्मरण-दिवस है .
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उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं -रेणुका, हुंकार,रसवंती, कुरुक्षेत्र,
उर्वशी, सीपी और शंख, नए सुभाषित, अर्द्ध नारीश्वर,
संस्कृति के चार अध्याय, मिट्टी की ओर,
काव्य की भूमिका, शुद्ध कविता की खोज आदि.
सम्मान - पद्मभूषण -१९५९,
साहित्य अकादमी सम्मान -१९५९,
ज्ञानपीठ -१९७२
राज्य सभा सदस्य -१९५२ से १९६४ तक.
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दिनकर जी के अप्रतिम योगदान को
नमन करते हुए प्रस्तुत हैं
जीवन को कर्तव्य-बोध का पथ सुझाती
उनकी ये चार अमर पंक्तियाँ -
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प्रकृति नहीं डरकर झुकती है ,कभी भाग्य के बल से
सदा हारती वह मनुष्य के उद्यम से, श्रम जल से.
कर्म-भूमि है यही महीतल,जब तक नर की काया
तब तक जीवन के अणु-अणु में,है कर्तव्य समाया.
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2 comments:

अमिताभ said...

aadrniya sir ,
dinkar ji ke vishay me jankari dene va unki kavita ke liye sadhuvad !!

समयचक्र said...

बहुत सुंदर रचना बहुत उम्दा है आभार