Tuesday, May 27, 2008

आप फरमाते हैं !


सौ-सौ तरह से खुश है ये दिल झूम रहा है
जब आपने पूछा है तो फिर पूछना है क्या !

वो दूर अंधेरे में चमकता है जो जाने क्या है
अच्छा तो मेरा दिल अभी जल ही रहा है !
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- सलीम अहमद ज़ख्मी

कभी सपने में भी सोचा न था ये हादसा होगा
मैं तुमको भूल जाऊंगा ये मेरा फ़ैसला होगा

जुनूं पल भर का है ठहरो जरा सोचो कहा मानो
अगर नफ़रत भड़क उठी तो किसका फायदा होगा ====================================
- अब्दुस्सलाम कौसर

6 comments:

नीरज गोस्वामी said...

बेहतरीन शेर चुने हैं आप ने जैन साहेब...मजा आ गया.
नीरज

बालकिशन said...

"कभी सपने में भी सोचा न था ये हादसा होगा
मैं तुमको भूल जाऊंगा ये मेरा फ़ैसला होगा"

"जुनूं पल भर का है ठहरो जरा सोचो कहा मानों
अगर नफरत भड़क उठी तो किसका फायदा होगा"
बहुत खूब.
शायर ने क्या खूब कहा है.
आभार.

Ashok Pandey said...

आप तो जौहरी निकले... पढ़कर मजा आ गया।

अमिताभ मीत said...

जवाब नहीं भाई. कमाल के शेर. क्या बात है.

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर चयन है. वाह जी. ऐसे ही लाते रहें, हमें बहलाते रहें.

Dr. Chandra Kumar Jain said...

शुक्रिया आप सब का.
चंद्रकुमार