ये अलग बात है कि ख़ामोश खड़े रहते हैं
फिर भी जो लोग बड़े हैं, वो बड़े रहते हैं
- डा.राहत इन्दौरी
=============
खुशनुमां देखें जो दीवार की दर की सूरत
खूबसूरत नज़र आयेगी नगर की सूरत
- शम्स रम्ज़ी
==============
शर्म से झुक गई हों जब नज़रें
फिर क़यामत उठा नहीं करती
- साजन पेशावरी
===============
मेरे सीने पे वो सर रखे हुए सोता रहा
जाने क्या थी बात,मैं जागा किया रोता रहा
- डा.बशीर बद्र
================
दोस्तो बज़्म सजेगी न कभी मेरे बाद
रतजगे याद जब आयेंगे तो पछताओगे
- शहीद 'शैदाई'
=================
मुहब्बत को गले का हार भी करते नहीं बनता
कुछ ऐसी बात है इनकार भी करते नहीं बनता
- महबूब 'खिजां'
=================
वो भी शायद रो पड़ें वीरान काग़ज़ देख के
मैंने उनको आख़िरी ख़त में लिखा कुछ भी नहीं
- निज़ाम 'रामपुरी'
7 comments:
वाह ! क्या बात है. सारे शेर कमाल के हैं लेकिन निज़ाम साहब का निज़ाम बेमिसाल है.
निज़ाम साहब का शेर लाजवाब है.. शुक्रिया यहा बाँटने के लिए..
सभी शेर बहुत ही अच्छे लगे ..
सारे अशआर संकलन योग्य हैं डाक साब !
har sher bahut hi lajawab hai
सभी शेर बहुत उम्दा हैं. आपका चयन हमेशा ही बेहतरीन होता है.
Post a Comment