Tuesday, June 10, 2008

जरा-सी प्यास चाहिए...


एहसास नहीं मन को विश्वास चाहिए
तूफ़ान नहीं जीने को साँस चाहिए
लाख समंदर भी कम होंगे ज़िंदगी में
बस अधरों पर जरा-सी प्यास चाहिए
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हार को जीत में बदलने की कला सीखो
रुदन को गीत में बदलने की कला सीखो
ज़िंदगी की हकीक़त पा जाओगे मगर
घृणा को प्रीत में बदलने की कला सीखो
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8 comments:

रंजू भाटिया said...

ज़िंदगी की हकीक़त पा जाओगे मगर
घृणा को प्रीत में बदलने कला सीखो

बहुत खूब . यह सब सीख ले तो आधी समस्या हल दुनिया की :)

mehek said...

bahut khubsurat ehsaas badhai

हार को जीत में बदलने की कला सीखो
रुदन को गीत में बदलने की कला सीखो
ज़िंदगी की हकीक़त पा जाओगे मगर
घृणा को प्रीत में बदलने कला सीखो
its awesome

अमिताभ मीत said...

वाह ! क्या बात है.

"लाख समंदर भी कम होंगे ज़िंदगी में
बस अधरों पर जरा-सी प्यास चाहिए"

जी भाई साहब. इसी ज़रा सी प्यास की बात करें बस.

Udan Tashtari said...

बहुत ही बढ़िया. बधाई.

शायदा said...

बहुत बढि़या।

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर !
घुघूती बासूती

बालकिशन said...

सुंदर!
अति सुंदर!
बधाई.

Dr. Chandra Kumar Jain said...

आप सब के स्नेह-सरोकार से
सृजन...चिंतन...प्रस्तुति को
गति मिलती है.....आभार.
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डा.चंद्रकुमार जैन