तुम ख़ूब नक़द ज़िंदगीअपनी समझ रहे परये कम नहीं किज़िंदगी मेरी नहीं उधार !डाक साब;एक विलक्षण आत्म-सम्मान की बात कही आपने.१६ शब्दों में ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा बयाँ कर दिया आपने.
अपने ही बगीचे केकाँटों से है प्यार !vha bhut hi gahari rachana.badhai ho.likhte rhe.
तुम ख़ूब नगद ज़िंदगीअपनी समझ रहे परये कम नहीं किज़िंदगी मेरी नहीं उधार !बहुत ही गहरी बात कह देते हैं आप चंद लफ्जों में
सही कहा-अपने ही बगीचे के कांटों से प्यार होना चाहिए। पराए फूलों का महत्व है भी क्या....बढि़या लिखा।
संजय भाई से पूरी सहमति. एकदम कमाल है भाई. वाह !
Sir,bahut hi gahari baat kah di hai kuchh panktiyon mein.
तुम ख़ूब नगद ज़िंदगीअपनी समझ रहे परये कम नहीं किज़िंदगी मेरी नहीं उधार !--ये बात हुई न!! बहुत खूब.
आप सब का अंतस्तल से आभार.=================चन्द्रकुमार
बहुत ही खूबसूरत लफ़्ज़ हैं बधाई स्वीकारें...
शुक्रिया आपका डाक्टर साहिबा.=============डा.चन्द्रकुमार जैन
Post a Comment
10 comments:
तुम ख़ूब नक़द ज़िंदगी
अपनी समझ रहे पर
ये कम नहीं कि
ज़िंदगी मेरी नहीं उधार !
डाक साब;
एक विलक्षण आत्म-सम्मान की बात कही आपने.
१६ शब्दों में ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा बयाँ कर दिया आपने.
अपने ही बगीचे के
काँटों से है प्यार !
vha bhut hi gahari rachana.badhai ho.likhte rhe.
तुम ख़ूब नगद ज़िंदगी
अपनी समझ रहे पर
ये कम नहीं कि
ज़िंदगी मेरी नहीं उधार !
बहुत ही गहरी बात कह देते हैं आप चंद लफ्जों में
सही कहा-अपने ही बगीचे के कांटों से प्यार होना चाहिए। पराए फूलों का महत्व है भी क्या....बढि़या लिखा।
संजय भाई से पूरी सहमति. एकदम कमाल है भाई. वाह !
Sir,bahut hi gahari baat kah di hai kuchh panktiyon mein.
तुम ख़ूब नगद ज़िंदगी
अपनी समझ रहे पर
ये कम नहीं कि
ज़िंदगी मेरी नहीं उधार !
--ये बात हुई न!! बहुत खूब.
आप सब का
अंतस्तल से आभार.
=================
चन्द्रकुमार
बहुत ही खूबसूरत लफ़्ज़ हैं बधाई स्वीकारें...
शुक्रिया आपका
डाक्टर साहिबा.
=============
डा.चन्द्रकुमार जैन
Post a Comment