सोचता हूँ मैं कि
मेरी ज़िंदगी कितनी हंसीं है
आसमां अपना-सा है
अपनी ही सारी ये ज़मीं है
क्यूँ शिकायत हो किसी से
फ़ासले क्यूँ-कर रखूँ मैं
दर्द अपना पर ज़हां की
आँखों में देखी नमी है
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Saturday, August 2, 2008
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9 comments:
bhut gahari rachana kar di hai aapne. ati uttam.
bhut sundar rachana badhai ho.
मनोभावों को बखूबी प्रस्तुत किया है।सुन्दर।
happy friendship day...
चाहे हो हममे गहरी दोस्ती,
इसमे भरोसा ज़रूरी तो है,
हम तो समझते है मगर,
रिश्ते का नाम ज़रूरी तो है,
वो अक्सर आती है यादो में,
यादो में उसकी खुश्बू ज़रूरी तो है
दर्द अपना पर ज़हां की
आँखों में देखी नमी है
वाह!!
***राजीव रंजन प्रसाद
www.rajeevnhpc.blogspot.com
bahut sundar khyaal. mitr diwas ki hardik shubhakamana ke sath.
वाह जैन साहब बहुत ही सुंदर रचना बधाई हो साथ ही मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
शुक्रिया मित्रों...शुक्रिया
आप सब का.
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मेरी शुभकामनायें भी स्वीकार करें
दा.चन्द्रकुमार
दर्द अपना पर ज़हां की
आँखों में देखी नमी है
वाह...वा...जैन साहेब...बहुत किस्मत वाले हैं आप वरना ज़माने को दूसरों के गम में हँसते हुए ही देखा है...
नीरज
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