हर कली नहीं खिलती है
माना जीना है बरसों
फिर भी तो चला-चली है
हो उसको प्राण समर्पित
जो सुख-दुःख में सम रहता
जिसकी पदचाप निराली
इस दिल ने सदा सुनी है
==================
हो उसको प्राण समर्पित जो सुख-दुःख में सम रहताbahut khoob kaha....
हो उसको प्राण समर्पित जो सुख-दुःख में सम रहता-बहुत उम्दा,बधाई.
bahut accha likha hai
....जिसकी पदचाप निरालीइस दिल ने सदा सुनी है सूफियाना बातें हैं ...बहुत अच्छी लगी पंक्तियां
बेहतरीन..... बहुत खूब.उम्दा प्रस्तुति.
माना जीना है बरसोंफिर भी तो चला-चली हैसत्य वचन जैन साहेब....सीधे सादे शब्दों में गहरी बात...नीरज
आभार अंतर्मन सेआप सब का.==========चन्द्रकुमार
Post a Comment
7 comments:
हो उसको प्राण समर्पित
जो सुख-दुःख में सम रहता
bahut khoob kaha....
हो उसको प्राण समर्पित
जो सुख-दुःख में सम रहता
-बहुत उम्दा,बधाई.
bahut accha likha hai
....जिसकी पदचाप निराली
इस दिल ने सदा सुनी है
सूफियाना बातें हैं ...
बहुत अच्छी लगी पंक्तियां
बेहतरीन..... बहुत खूब.
उम्दा प्रस्तुति.
माना जीना है बरसों
फिर भी तो चला-चली है
सत्य वचन जैन साहेब....सीधे सादे शब्दों में गहरी बात...
नीरज
आभार अंतर्मन से
आप सब का.
==========
चन्द्रकुमार
Post a Comment