इतिहास में जब होहास और उपहास की इति
तब होता है
विश्वास का अथ
कहानी अतीत की
स्मरण की रीत की
सत्य के नवनीत की
हार और जीत की
भर देती है झोली
नव-ज्ञान की
खिल उठते हैं
प्रसून अंतर्मन के
इसीलिये इतिहास-सूत्र हैं
हितकारी जन-जन के
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10 comments:
अच्छी व्यख्या की आपने इतिहास की
रंजन मोहनोत
aadityaranjan.blogspot.com
jaandar.
achhi vyakhya hai.
बहुत अच्छी परिभाषा इतिहास की
।
itihas ke sandarbh me achchi paribhasha. thanks
lajawaab vyakhya hai.bahu sundar.
बहुत सुंदर लिखा है. बधाई
अच्छी व्यख्या-बहुत सुंदर!!
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आपके आत्मिक स्नेह और सतत हौसला अफजाई से लिए बहुत आभार.
बहुत ही अच्छा धन्यवाद
बहुत-बहुत शुक्रिया
आप सब का.
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