Monday, September 15, 2008

नोज़ वालों...ओजोन बचाओ !

लीजिए श्रीमान !
अपना यह ग्लोबल विलेज
ग्लोबली वार्म हो रहा है
यानी आदमी
आग के बिस्तर पर सो रहा है !
तकनीक का ज़माना है
माहौल है प्रदूषक
तरक्की के रंग मंच पर
हर आदमी है विदूषक
सिमट रही है वायुमंडल की ओजोन
लेकिन धरती वालों को
समझाए कौन ?
कि ओजोन न रहेगी
तो नहीं रहेगी जिंदगी
फ़िर गुमां होगा किस पर
किस पर होगी शर्मिंदगी ?
इसलिए ओं...नोज वालों !
ओजोन को बचाओ
इंसानियत का फ़र्ज़ निभाओ
ओजोन कवच होगा
हर वार हम सहेंगे
हम विश्व के हैं प्रहरी
हर बार हम कहेंगे.
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ओजोन संरक्षण दिवस, १६ सितम्बर पर प्रस्तुत.

7 comments:

Dr. Amar Jyoti said...

बहुत ही महत्वपूर्ण और सामयिक विषय उठाया है आपने। विडँबना यह है कि पढ़े-लिखे और खाते-पीते वर्ग की जीवन शैली ही ओज़ोन की सबसे बड़ी शत्रु है।

शोभा said...

ओजोन को बचाओ
इंसानियत का फ़र्ज़ निभाओ
ओजोन कवच होगा
हर वार हम सहेंगे
हम विश्व के हैं प्रहरी
हर बार हम कहेंगे.
सुंदर रचना. बधाई स्वीकारें.

Hari Joshi said...

पर्यावरण के प्रति आपकी चिंताओं को नमन। ऐसी तरक्‍की के बारे में सोचना चाहिए क‍ि जब धरती ही नहीं बचेगी तो विकास का क्‍या होगा।

Abhishek Ojha said...

सुंदर रचना... सुंदर आह्वान.

डॉ .अनुराग said...

वाकई......सही विषय उठाया है..

Udan Tashtari said...

सटीक रचना-बेहतरीन आह्वान.

Dr. Chandra Kumar Jain said...

ह्रदय से धन्यवाद आप सब को.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन