Monday, November 17, 2008

ख़ुद में कमी कुछ खोजिए...!

दूसरों की खासियत

ख़ुद में कमी कुछ खोजिए

आलोचना मत कीजिए

लोचन ज़रा तो खोलिए

दो बोल मीठे बोलना

मुश्किल अगर मालूम हो

इतना ही तय कर लीजिए

कड़वे वचन मत बोलिए

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7 comments:

mehek said...

bahut sahi kaha,sundar sikh milti hai

श्यामल सुमन said...

बिल्कुल ठीक। कहते हैं कि-

गर न हो सूरत तो सीरत ही सही।
कुछ तो होना चाहिए इन्सान में।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर।

अमिताभ मीत said...

बहुत सही है भाई .....

नीरज गोस्वामी said...

इतना ही तय कर लीजिए
कड़वे वचन मत बोलिए
कितने कम शब्दों में कितनी गहरी बात कह जाते हैं आप...वाह....आप की प्रतिभा विलक्षण है...
नीरज

Abhishek Ojha said...

"दूसरों की खासियत
ख़ुद में कमी कुछ खोजिए "

सुंदर सीख !

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुन्दर आप की यह छोटी सी कविता, बहुत गहरे भाव लिये है...
धन्यवाद