Thursday, November 20, 2008

जिव्हा नहीं...विस्फोटक है यह !

जिव्हा नहीं, यह विस्फोटक है
अणु शक्ति का है भण्डार !
क्षण भर में विध्वंसक बनकर
त्वरित मचाती हाहाकार !!
वही सुखद सुंदर सपनों का
कर सकती है नव निर्माण !
मुरझाई कलियों में क्षण में
भर सकती हैं नव मुस्कान !!
अगर नियंत्रण रख पाओ तो
वाणी जीवन अमृत है !
वरना विष है,याद रहे वह
तिल-तिल कर देती मृत है !!
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4 comments:

Alpana Verma said...

bahut sahi likha hai..

tabhi to kaha bhi gaya hai--'meethi vani boleeye....'

नीरज गोस्वामी said...

अगर नियंत्रण रख पाओ तो
वाणी जीवन अमृत है !
वरना विष है,याद रहे वह
तिल-तिल कर देती मृत है
सच्ची और गहरी बात....बहुत खूब जैन साहेब....वाह.
नीरज

अनुपम अग्रवाल said...

जिव्हा नहीं, यह विस्फोटक है
अणु शक्ति का है भण्डार !
क्षण भर में विध्वंसक बनकर
त्वरित मचाती हाहाकार !!


गज़ब के भाव और अभिव्यक्ति .
बड़े बड़े ऋषियों ने भी कहा है कि जिव्हा को वश में रखना चाहिए

अजित वडनेरकर said...

बहुत खूब डाक्टसाब...

सही कहा आपने