जिव्हा नहीं, यह विस्फोटक है
अणु शक्ति का है भण्डार !
क्षण भर में विध्वंसक बनकर
त्वरित मचाती हाहाकार !!
वही सुखद सुंदर सपनों का
कर सकती है नव निर्माण !
मुरझाई कलियों में क्षण में
भर सकती हैं नव मुस्कान !!
अगर नियंत्रण रख पाओ तो
वाणी जीवन अमृत है !
वरना विष है,याद रहे वह
तिल-तिल कर देती मृत है !!
===================
Thursday, November 20, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
bahut sahi likha hai..
tabhi to kaha bhi gaya hai--'meethi vani boleeye....'
अगर नियंत्रण रख पाओ तो
वाणी जीवन अमृत है !
वरना विष है,याद रहे वह
तिल-तिल कर देती मृत है
सच्ची और गहरी बात....बहुत खूब जैन साहेब....वाह.
नीरज
जिव्हा नहीं, यह विस्फोटक है
अणु शक्ति का है भण्डार !
क्षण भर में विध्वंसक बनकर
त्वरित मचाती हाहाकार !!
गज़ब के भाव और अभिव्यक्ति .
बड़े बड़े ऋषियों ने भी कहा है कि जिव्हा को वश में रखना चाहिए
बहुत खूब डाक्टसाब...
सही कहा आपने
Post a Comment