भरोसे की नहीं है बात
लेकिन...
भरोसे की साँस का
हर सफ़र होता है निराला
देश के जो काम आए
देश को जो प्राण बख्शे
व्यक्ति की हर साँस ने
है देश को हरदम संभाला
देश को जो तोड़ते हों
देश से मुख मोड़ते हों
उनका जीना और न जीना
एक-सा लगता मुझे है
जोड़ने वाली लड़ी साँसों की
हैं जो सिरजते नित
उनका जीना इस धरा पर
नेक-सा लगता मुझे है
धन्य हैं वे लोग जो
ख़ुद भूख सह लेते हैं
लेकिन...
जो कभी न छीनते हैं
गैर के मुख का निवाला
भरोसे की साँस का
हर सफ़र होता है निराला।
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4 comments:
देश को जो तोड़ते हों
देश से मुख मोड़ते हों
उनका जीना और न जीना
एक-सा लगता मुझे है
सच बात कही जैन साहेब ...
नीरज
जो कभी न छीनते हैं
गैर के मुख का निवाला
भरोसे की साँस का
हर सफ़र होता है निराला..
bahut badhiya bhavapoorn rachana .dhanyawad.
sach jo kisi aur ka niwala nahi chinta wahi nirala,ek sundar bhavuk rachana badhai
निश्छल उनके त्याग भावः ने , बरबस ध्यान बंटाया है
और इसी बात पर आपके मन में , एक सदविचार यों आया है
जो कभी न छीनते हैं , गैर के मुख का निवाला
भरोसे की साँस का , हर सफ़र होता है निराला।
वाह ! क्या सुंदर अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है /
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