पाँवों के छालों की भाषा,
देश के लिए सब कुछ देकर
मर-मिटने वालों की भाषा।
जिस दिन समझ सकेंगे
जीने और जीने फ़र्क बहुत है,
उस दिन दिल पर छा जायेगी
देश के दिल वालों की भाषा।।
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देश की तरक्की के लिये आप की बात हर किसी की समझ मे आना ज़रुरी है।
यह भाषा फैले .. और फैल और सबमें बस जाए..
न सुमन के लिए न चुभन के लिए।गीत गाता हूँ मैं अंजुमन के लिए।मैं अमन की राह में फूल बरसाता हूँ,मेरा हर शब्द है बस वतन के लिए।।सादर श्यामल सुमन09955373288मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।www.manoramsuman.blogspot.com
जिस दिन समझ सकेंगे जीने और जीने फ़र्क बहुत है,उस दिन दिल पर छा जायेगीदेश के दिल वालों की भाषा।। ahut sahi kaha jeene aur jeene mein farak bahut hai bahut khub
सच में बहुत फर्क है !
जिस दिन समझ सकेंगे जीने और जीने फ़र्क बहुत है, क्या बात है सच मै जिस दिन ....धन्यवाद
काश ये भाषा जन जन की समझ में आ जाए...नीरज
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7 comments:
देश की तरक्की के लिये आप की बात हर किसी की समझ मे आना ज़रुरी है।
यह भाषा फैले .. और फैल और सबमें बस जाए..
न सुमन के लिए न चुभन के लिए।
गीत गाता हूँ मैं अंजुमन के लिए।
मैं अमन की राह में फूल बरसाता हूँ,
मेरा हर शब्द है बस वतन के लिए।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
जिस दिन समझ सकेंगे
जीने और जीने फ़र्क बहुत है,
उस दिन दिल पर छा जायेगी
देश के दिल वालों की भाषा।।
ahut sahi kaha jeene aur jeene mein farak bahut hai bahut khub
सच में बहुत फर्क है !
जिस दिन समझ सकेंगे
जीने और जीने फ़र्क बहुत है,
क्या बात है सच मै जिस दिन ....
धन्यवाद
काश ये भाषा जन जन की समझ में आ जाए...
नीरज
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