Thursday, December 4, 2008

सँकरी सोच...चौड़ा सीना !

अपना सच अपनी दुनिया में

जीने वाले बहुत मिलेंगे

अपनी ही धुन का रस हर पल

पीने वाले बहुत मिलेंगे

लेकिल बिरले लोग यहाँ हैं

जो साखी बनकर जीते हैं

वरना सँकरी सोच के चौड़े

सीने वाले बहुत मिलेंगे

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3 comments:

"अर्श" said...

लेकिल बिरले लोग यहाँ हैं

जो साखी बनकर जीते हैं

वरना सँकरी सोच के चौड़े

सीने वाले बहुत मिलेंगे

bahot khub sahab,bahot hi umda bat kahi aapne ,,, wah dero badhai swikar kare,,,

regards
arsh

Anil Pusadkar said...

सही कह रहे है डाक्साब्।

Anil Pusadkar said...

सही कह रहे है डाक्साब्।