गंध बाँटकर भी जीते हैं
बंद ह्रदय वाले दुनिया में
देने का रस कब पीते हैं ?
बड़ा कठिन है बाहर के
कष्टों को सहकर स्थिर रहना
पर भीतर की दौलत वाले
न रोते, न ही रीते हैं.
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पर भीतर की दौलत वालेन रोते, न ही रीते हैं waah sachhi baat kahi.
बड़ा कठिन है बाहर के कष्टों को सहकर स्थिर रहनापर भीतर की दौलत वालेन रोते, न ही रीते हैं हमेशा की तरह...विलक्षण...जिसे पढ़ते हुए हम ना कभी भी थकते हैं...नीरज
"कष्टों को सहकर स्थिर रहना" बस वही कहना है जो नीरजजी कह गए हैं.
बहुत खुब.नीरज जी की बात से सहमत हैधन्यवाद
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4 comments:
पर भीतर की दौलत वाले
न रोते, न ही रीते हैं
waah sachhi baat kahi.
बड़ा कठिन है बाहर के
कष्टों को सहकर स्थिर रहना
पर भीतर की दौलत वाले
न रोते, न ही रीते हैं
हमेशा की तरह...विलक्षण...जिसे पढ़ते हुए हम ना कभी भी थकते हैं...
नीरज
"कष्टों को सहकर स्थिर रहना" बस वही कहना है जो नीरजजी कह गए हैं.
बहुत खुब.नीरज जी की बात से सहमत है
धन्यवाद
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