Monday, December 15, 2008

थोड़ी-सी कविता...!

थोड़ी सी कविता
और थोड़ा संगीत,
रचना जैसी ज़िंदगी से
हो थोड़ी-सी प्रीत.
अधिक माँग जीवन की
मैं कहता हूँ कतई नहीं है,
थोड़े से संतोष मिले
तो समझो जीवन रीत.
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5 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

अच्छी रचना है।

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर लगी यह रचना।

Anonymous said...

bahut sundar

"अर्श" said...

जैन साहब नमस्कार ,

बहोत ही बढ़िया कविता लिखी है आपने .. बधाई स्वीकारें...


अर्श

अजित वडनेरकर said...

कविता नहीं सूक्ति है यह...
हमेशा की तरह आशावाद से भरपूर...
वाह डाक्टसाब...