कैसे बीता कल,दो पल को रूककर करें विचार। आने वाले कल को चाहें लेंगे सहज सँवार।। दोष,क्लेश,विग्रह,विवाद के दिन अब क्यों दोहराएँ ? बीत रहा यह वर्ष, नए को सब मिल गले लगाएँ।। ==================
कैसे बीता कल,दो पल को रूककर करें विचार। आने वाले कल को चाहें लेंगे सहज सँवार।। दोष,क्लेश,विग्रह,विवाद के दिन अब क्यों दोहराएँ ? बीत रहा यह वर्ष, नए को सब मिल गले लगाएँ।।
Bahut khub.Meri taraph sa nav varsh ki agrim shubkamnayen.
5 comments:
आशा है इस वर्ष जो बुरा हुआ वैसा आगे समय में देखने को नहीं मिलेगा!
बीत रहा यह वर्ष, नए को
सब मिल गले लगाएँ।।
सच कहा...आपने.
नीरज
बहुत अच्छा व सार्थक लिखा है।बधाई।
बीत रहा यह वर्ष, नए को
सब मिल गले लगाएँ।।
बहुत सुंदर भाव...
धन्यवाद
कैसे बीता कल,दो पल को
रूककर करें विचार।
आने वाले कल को चाहें
लेंगे सहज सँवार।।
दोष,क्लेश,विग्रह,विवाद के
दिन अब क्यों दोहराएँ ?
बीत रहा यह वर्ष, नए को
सब मिल गले लगाएँ।।
Bahut khub.Meri taraph sa nav varsh ki agrim shubkamnayen.
Post a Comment