Friday, December 19, 2008

बीत रहा यह वर्ष...!

कैसे बीता कल,दो पल को
रूककर करें विचार।
आने वाले कल को चाहें
लेंगे सहज सँवार।।
दोष,क्लेश,विग्रह,विवाद के
दिन अब क्यों दोहराएँ ?
बीत रहा यह वर्ष, नए को
सब मिल गले लगाएँ।।
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5 comments:

Vinay said...

आशा है इस वर्ष जो बुरा हुआ वैसा आगे समय में देखने को नहीं मिलेगा!

नीरज गोस्वामी said...

बीत रहा यह वर्ष, नए को
सब मिल गले लगाएँ।।
सच कहा...आपने.
नीरज

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत अच्छा व सार्थक लिखा है।बधाई।

राज भाटिय़ा said...

बीत रहा यह वर्ष, नए को
सब मिल गले लगाएँ।।
बहुत सुंदर भाव...
धन्यवाद

sandhyagupta said...

कैसे बीता कल,दो पल को
रूककर करें विचार।
आने वाले कल को चाहें
लेंगे सहज सँवार।।
दोष,क्लेश,विग्रह,विवाद के
दिन अब क्यों दोहराएँ ?
बीत रहा यह वर्ष, नए को
सब मिल गले लगाएँ।।

Bahut khub.Meri taraph sa nav varsh ki agrim shubkamnayen.