विस्तृत है संसार
नीर-क्षीर का हो विवेक तो
निश्चित है उद्धार
जब तक सीमित है अपने तक
अपने 'सच' का सार
कैसे समझ सकेंगे जग को
करिए जरा विचार...!
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मुश्किल है समझना इस को जग का विस्तार है अपार।
इस सच को समझना मुश्किल है जरा
जितना देख सकेंगे उतनाविस्तृत है संसारनीर-क्षीर का हो विवेक तोनिश्चित है उद्धार बिल्कुल सच कहाऔर खूबसूरत बात यह कि बहुत खूबसूरत ढंग से कहा.नव वर्ष के लिए मंगल कामनायें !द्विजेन्द्र द्विज्
ठीक है जी विचार करते है !
'जितना देख सकेंगे उतनाविस्तृत है संसार' बिल्कुल सही बात है.
वाह ! सुन्दर कही है !
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6 comments:
मुश्किल है समझना इस को
जग का विस्तार है अपार।
इस सच को समझना मुश्किल है जरा
जितना देख सकेंगे उतना
विस्तृत है संसार
नीर-क्षीर का हो विवेक तो
निश्चित है उद्धार
बिल्कुल सच कहा
और खूबसूरत बात यह कि
बहुत खूबसूरत ढंग से कहा.
नव वर्ष के लिए मंगल कामनायें
!
द्विजेन्द्र द्विज्
ठीक है जी विचार करते है !
'जितना देख सकेंगे उतना
विस्तृत है संसार' बिल्कुल सही बात है.
वाह ! सुन्दर कही है !
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