Wednesday, January 14, 2009

इंसान बन गया...!

धागों को जोड़ा तो

परिधान बन गया

ईंटों को जोड़ा तो

मकान बन गया

बिखरे कणों को शक्ति के

जिसने सँजोकर रख लिया

वह आदमी से एक अदद

इंसान बन गया...!

===================

6 comments:

Dev said...

आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....

निर्मला कपिला said...

bahut hi sarthak rachna hai bdhai

अजित वडनेरकर said...

बहुत सुंदर डाक्टसाब...आपने तो इन्सान की नई परिभाषा रच दी...
आनंद आया...

mehek said...

waah bahut khub

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर.
धन्यवाद

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत खूब है।