तुम्हें हाशिए में छोड़ेगा
डटे रहे तो बेशक एक दिन
वह अपना भी रुख़ मोड़ेगा
यहाँ कोई परवाह किसी की
कभी न शिद्दत से करता है
घटे रहे तुम ख़ुद जीवन से
कहो ज़माना क्यों जोड़ेगा ?
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..कटे रहे तो यही ज़मानातुम्हें हाशिए में छोड़ेगा.....आपकी गजल का ओज मन -मोहता hai पूरी गजल के मकते भाव भरें हैं ..कोई समझे तब ना,
घटे रहे तुम ख़ुद जीवन सेकहो ज़माना क्यों जोड़ेगा ?बहुत बढ़िया रचना जो हकीकत बयानी कर रही है .
बहुत ख़ूब।
डटे रहे तो बेशक एक दिनवह अपना भी रुख़ मोड़ेगाbahut khub...
आपकी रचनाएं छोटी पर गजब के भाव लिए रहती हैं।
बहुत बढ़िया रचना !
बहुत सही बात..उम्दा.
कटे रहे तो यही ज़मानातुम्हें हाशिए में छोड़ेगा.....डॉ. चन्द्रकुमार जैन जी बहुत ही सुंदर बात कह दी आप ने इस छोटी सी कविता मै.धन्यवाद
आदरणीय जैन साहेब जीवन दर्शन कोई आप के इन छोटे छोटे शब्दों से सीखे....कमाल लिखते हैं आप..वाह.नीरज
बिहारी के दोहे याद आ रहे हैं।
बहुत सही. बहुत ही सुंदर बात.
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11 comments:
..कटे रहे तो यही ज़माना
तुम्हें हाशिए में छोड़ेगा.....आपकी गजल का ओज मन -मोहता hai पूरी गजल के मकते भाव भरें हैं ..कोई समझे तब ना,
घटे रहे तुम ख़ुद जीवन से
कहो ज़माना क्यों जोड़ेगा ?
बहुत बढ़िया रचना जो हकीकत बयानी कर रही है .
बहुत ख़ूब।
डटे रहे तो बेशक एक दिन
वह अपना भी रुख़ मोड़ेगा
bahut khub...
आपकी रचनाएं छोटी पर गजब के भाव लिए रहती हैं।
बहुत बढ़िया रचना !
बहुत सही बात..उम्दा.
कटे रहे तो यही ज़माना
तुम्हें हाशिए में छोड़ेगा.....
डॉ. चन्द्रकुमार जैन जी बहुत ही सुंदर बात कह दी आप ने इस छोटी सी कविता मै.
धन्यवाद
आदरणीय जैन साहेब जीवन दर्शन कोई आप के इन छोटे छोटे शब्दों से सीखे....कमाल लिखते हैं आप..वाह.
नीरज
बिहारी के दोहे याद आ रहे हैं।
बहुत सही. बहुत ही सुंदर बात.
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