Tuesday, January 20, 2009

ख़्वाहिश जोश में है...!


क्यों यहाँ हर शख्स औरों में

किसी की खोज में है ?

ख़बर अपनी ही नहीं उसको

न ही वह होश में है !

पाँव के नीचे ज़मीं

चाहे न हो पर देखिए तो

आसमां की बुलंदी छूने की

ख़्वाहिश जोश में है !

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5 comments:

रंजू भाटिया said...

खोज तो कभी खत्म नही होती है .सुंदर रचना

संगीता पुरी said...

पाँव के नीचे ज़मीं हो तभी आसमां की बुलंदी छूने की ख़्वाहिश रखनी चाहिए.....बधाई सुंदर रचना के लिए।

Udan Tashtari said...

ऐसी ख्वाहिश भी तो जरुरी है.

बढ़िया रचना!!

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत सुंदर रचना।

निर्मला कपिला said...

bahut sunder rachna hai