मन का आँगन देखो प्रमुदित
उन्नत और निहाल हो गया !
लो बसंत आया अनुशासन
मन का एक सवाल हो गया !
बौराई अमराई, धरती धन्य
सगाई को आतुर है
आए हैं ऋतुराज लाज में
टेसू जैसा गाल हो गया !
===================
वाह !
बढ़िया लेख बसंत पर्व की हार्दिक शुभकामना आपको भी
"लो बसंत आया अनुशासन मन का एक सवाल हो गया"सुन्दर पंक्तियाँ। प्रमुदित हुआ।
इस सुंदर रचना के लिए आभार.
टेसू जैसा गाल हो गया !टेसू से गाल की तुलना अद्भुत है डाक्टसा...विरल प्रयोग है यह...बाकी पूरी कविता छंदबंद्ध है...आनंददायी है। शुक्रिया । वसंत शुभ हो...
आए हैं ऋतुराज लाज में टेसू जैसा गाल हो गया ! अहाहा...वाह जैन साहेब वाह...लगता है जैसे बसंत साक्षात् आप के शब्दों का सहारा ले कर आंखों पर छा गया है...अद्भुत वाह..नीरज
बहुत ही सुंदर रचना बिलकुल बसंत की तरह से.धन्यवाद
वाह ! जोरदार स्वागत वसंत का.
Post a Comment
8 comments:
वाह !
बढ़िया लेख बसंत पर्व की हार्दिक शुभकामना आपको भी
"लो बसंत आया अनुशासन
मन का एक सवाल हो गया"
सुन्दर पंक्तियाँ। प्रमुदित हुआ।
इस सुंदर रचना के लिए आभार.
टेसू जैसा गाल हो गया !
टेसू से गाल की तुलना अद्भुत है डाक्टसा...विरल प्रयोग है यह...बाकी पूरी कविता छंदबंद्ध है...आनंददायी है।
शुक्रिया ।
वसंत शुभ हो...
आए हैं ऋतुराज लाज में
टेसू जैसा गाल हो गया !
अहाहा...वाह जैन साहेब वाह...लगता है जैसे बसंत साक्षात् आप के शब्दों का सहारा ले कर आंखों पर छा गया है...अद्भुत वाह..
नीरज
बहुत ही सुंदर रचना बिलकुल बसंत की तरह से.
धन्यवाद
वाह ! जोरदार स्वागत वसंत का.
Post a Comment