Monday, February 9, 2009

कह पाना जिसको हो मुश्किल...!


कह पाना जिसको मुश्किल हो

बात वही मैं कह जाता हूँ

सह पाना जिसको मुमकिन हो

हर पीड़ा मैं सह जाता हूँ

दुनिया रुदन जिसे कहती है

मैं स्वर पंचम में उस दुःख के

घर में बनकर सहज सहोदर

जब तक चाहे रह जाता हूँ

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6 comments:

नीरज गोस्वामी said...

मैं स्वर पंचम में उस दुःख के
घर में बनकर सहज सहोदर
जब तक चाहे रह जाता हूँ
वाह जैन साहेब वाह....कमाल किया है आपने...हमेशा की तरह...शब्द और भाव.....अनुपम.
नीरज

रंजना said...

Waah ! lajawaab is baar bhi,hamesha ki tarah.

Himanshu Pandey said...

सुन्दर रचना के लिये आभार.

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर बात!!

दिनेशराय द्विवेदी said...

गागर में सागर भर देते हैं आप!

हरकीरत ' हीर' said...

Waah....! kitane kum sabdon me aapne itani gahri bat kah di... Bhot khoob....!!