सधे हुए हाथों से सेवा
मानवता का सहज धर्म है
कष्ट हरे जो हर हारे का
विजयी का वह विश्व-कर्म है
माना जीवन पाहन-सा है
लेकिन पावन इसे बनाएँ
पत्थर पर भी फूल खिला दें
जो भीतर से अगर नर्म हैं......!
======================
बहुत सुन्दर!!
Post a Comment
1 comment:
बहुत सुन्दर!!
Post a Comment