अपना नीड़, घरौंदा अपना
राहें अपनी, सपना अपना
अपनेपन की बात अलग है
अपना आख़िर होता अपना
मिल जाए दुनिया सारी पर
नहीं मिटेगा यह सूनापन
हस्ती अपनी मिल जाए बस
टेक से तिल भर मत तुम हटना
अपना आख़िर होता अपना...!
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Tuesday, February 17, 2009
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3 comments:
बहुत बढ़िया रचना ..बधाई.
अपना आखिर होता अपना...
-बहुत सुन्दर!!
बहुत सुन्दर रचना है।
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