चेहरे से दोस्त बनकर
दुश्मनी जो कर रहे हैं
ऐसे लोगों से ही हम
सहमे हुए से, डर रहे हैं
पर जो दुश्मन मुखौटों से
दूरियाँ दिल से रखे हैं
सच बताएँ उनसे ही अब
दोस्ती हम कर रहे हैं !
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पेचीदा ज़माने की कविता ...
दोस्त सब झूठे और दुश्मन सच्चे हो गए हैं।
बहुत ही अलग तरीके से सच बयां किया
सटीक बात की है ..
एक विचित्र सत्य को वयां करने हेतु बधाईयाँ !
गज़ब जैन साहेब गज़ब...ऐसे दोस्तों से दुश्मन भले...कमाल की रचना...नीरज
दोस्त मिलने की उम्मीद बची है कोई तुम सा नही किस्मत वाला कोई अच्छा लिखा है
अनूठी अभिव्यक्ति!बधाई।
बहुत उम्दा बात कही॒!
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9 comments:
पेचीदा ज़माने की कविता ...
दोस्त सब झूठे और दुश्मन सच्चे हो गए हैं।
बहुत ही अलग तरीके से सच बयां किया
सटीक बात की है ..
एक विचित्र सत्य को वयां करने हेतु बधाईयाँ !
गज़ब जैन साहेब गज़ब...ऐसे दोस्तों से दुश्मन भले...कमाल की रचना...
नीरज
दोस्त मिलने की उम्मीद बची है कोई
तुम सा नही किस्मत वाला कोई
अच्छा लिखा है
अनूठी अभिव्यक्ति!
बधाई।
बहुत उम्दा बात कही॒!
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